N.D.A.
ने कानपुर (UP) के दलित नेता राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का
उम्मीदवार बनाया है. कोविंद संघ के दलित नेता हैं, वे LAW Expert हैं,
Supreme Court. व High Court में 16 वर्ष वकालत भी की है. कोविंद भाजपा से 2
बार (1994-2006) राज्य सभा के सांसद रहें हैं. वर्तमान में कोविंद बिहार
के राज्यपाल हैं.
U.P.A. ने 22 जून को Delhi में 17 विपक्षी दलों के साथ वार्ता की और अन्ततः जे.डी.यू. के शरद यादव ने दलित नेत्री व भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) मीरा कुमार के नाम का प्रस्ताव दिया, जिसे विपक्षी दलों ने सर्वसम्मत से राष्ट्रपति पद हेतु उम्मीदवार बनाया.
13 राज्यों में बी.जे.पी. की सरकार है, हालही में यू.पी. व उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत भी प्राप्त हुआ है. वस्तुतः N.D.A. के पास कुल 5 लाख 32 हज़ार वोट है, जबकि उसे अपनी जीत के लिए 17 हज़ार 422 वोट और चाहिए. N.D.A. द्वारा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए Y.R.S., T.R.S., B.J.D. आदि जैसे गैर एन.डी.ए. दल से समर्थन प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कूटनीति है. जो U.P.A. के लिए चिंतनीय है.
Y.R.S.. कांग्रेस - 17666 वोट, T.R.S.. - 22048 वोट, नवीन पटनायक (उड़ीसा) -27257 वोट के साथ बिहार के मुख्यमंत्री माननीय Nitish Kumar का समर्थन एन.डी.ए. के प्रबल दावेदारी को सुनिश्चित कर दिया है.
अभी तक शिव सेना का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और Lalu Yadav ने नितीश को ऐतिहासिक भूल न करने की सलाह भी दी है. फ़िरभी एन.डी.ए. को इन दोनों दलों से समर्थन न मिलने पर भी बहुमत का अभाव नहीं है.
सपा के रामगोपाल ने मीरा कुमार को कोविंद से बेहतर उम्मीदवार बताया है. B.S.P. ने भी मीरा कुमार का समर्थन किया है. तृणमूल कांग्रेस, J.D.U., C.P.I.. आदि विपक्षी दलों ने मीरा कुमार का समर्थन किया है. दिलचस्प बात ये है कि "आप" पार्टी को न तो एन.डी.ए ने महत्व दिया और ना ही यू.पी.ए. ने, ऐसे में अरविंद केजरीवाल के मनोदशा चिंतनीय व अवसादग्रस्त है.
सत्ता बनाम विपक्ष के उमीदवार के प्रस्ताव व जीत के संदर्भ में पत्रकार जगत भी काफ़ी उत्साहित है. वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय का मत है कि पहले कोविंद का कोई जिक्र नहीं था, पर हालही के यू.पी. में हुए राजपूत बनाम दलित जातीय संघर्ष को ध्यान में रख कर कोविंद का नाम प्रस्तावित किया गया. अतः 2019 के लोकसभा चुनाव में दलितों (16-18%) को जोड़ने हेतु कोविंद का नाम प्रस्तावित किया गया. पत्रकार जगत का मत है कि विपक्षी दलों द्वारा लगातार लगाया गया यह आरोप कि संघ व सवर्ण द्वारा दलितों का शोषण हो रहा है, आरोप को निराधार बताने तथा दलित वोट प्राप्त करने के उद्देश्य से एन.डी.ए. द्वारा कोविंद को उम्मीदवार बनाया गया. कोविंद के काट में विपक्षी दलों के समर्थन पाने के लिए यू.पी.ए. ने एक तरफ़ दलित और दूसरी तरफ़ महिला के प्रति श्रद्धा के नाम पर मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया.
हालाँकि
कोविंद की जीत सुनिश्चित है, क्योंकि वोट की गणित में एन.डी.ए. के पास
लगभग 5 लाख 70 हज़ार यानि कि 60% वोट है और 20 राज्यों का भारी समर्थन भी
प्राप्त है, जबकि यू.पी.ए आदि विपक्षी दलों के पास मात्र 40% वोट है.
फ़िरभी यू.पी.ए. ने दलित व महिला नेत्री मीरा कुमार को उम्मीदवार बना कर
सेक्यूलर बनाम हिंदू संघ के नाम पर विपक्षी दलों को एकजुट करने का अंतिम
प्रयास किया है.
#___स्रोत_संदर्भ___
1. bbchindi.com
2. firsthindi.com
3. gnews
4. न्यूज वेवसाइट क्विंट
5. दैनिक जागरण
6. टाइम्स ऑफ इंडिया
7. हिंदुस्तान
8. इंडिया टूडे
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