Tuesday, July 3, 2018

इसरो को बधाई

                                         


ISRO का सबसे भारी रॉकेट GSLV-Mk 3 लॉन्च, 200 हाथियों जितना वजन#*
आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSLV मार्क 3 की लॉन्चिंग हुई।
श्रीहरिकोटा. इसरो के सबसे ताकतवर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV मार्क 3 डी-1 ने सोमवार को पहली उड़ान भरी। इसका वजन 200 हाथियों के बराबर है। इसे आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया। रॉकेट ने एक हाथी के बराबर वजनी देश के सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 को 16 मिनट में स्पेस ऑर्बिट में पहुंचाया। इससे आने वाले कुछ सालों में भारत में हाई स्पीड इंटरनेट की शुरुआत होगी। इसरो ने कहा कि आने वाले वक्त में नए जीएसएलवी रॉकेट से इंसानों को स्पेस की सैर कराई जा सकती है। इस ऐतिहासिक मिशन की कामयाबी पर और प्रेसिडेंट ने इसरो को बधाई दी।11 प्वाइंट में पढ़ें, क्या है इसरो का जम्बो मिशन...


🤔1) क्या है ये मिशन?*
- इसरो के सबसे ताकतवर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV मार्क 3 डी-1 ने पहली उड़ान भरी। यह अपने साथ देश के सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 (वजन 3136 kg ) को स्पेस में लेकर गया।
🤦‍♂2) क्या है GSAT-19?*
- GSAT-19 देश में तैयार सबसे वजनी सैटेलाइट है। इसमें मॉडर्न प्लेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। यह हीट पाइप, फाइबर ऑप्टिक जायरो, माइक्रो-मेकैनिकल सिस्टम्स एक्सीलेरोमीटर, केयू-बैंड टीटीसी ट्रांसपोंडर और लीथियम आयन बैटरी से लैस है। इस पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
💁‍♂3) कम्युनिकेशन सैटेलाइट से क्या फायदा?*
- कुछ साल में देश में इंटरनेट स्पीड बढ़ेगी। सबसे तेज लाइव स्ट्रीमिंग मिलेगी। जहां फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क नहीं है, वहां फायदा होगा।
- GSAT-19 और GSAT-11 कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग से डिजिटल इंडिया को मजबूती मिलेगी।
🤷‍♂4) क्या है GSLV?*
- GSLV इसरो का सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। जिसका पूरा नाम जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। इस रॉकेट को इसरो ने डेवलप किया है। इसके जरिए 2001 से अब तक 11 बार सैटेलाइट स्पेस में भेजे जा चुके हैं। आखिरी उड़ान 5 मई, 2017 को भरी थी, तब यह जीसैट-9 को अपने साथ लेकर रवाना हुआ था।
🌷5) GSLV मार्क 3 की खासियत क्या है?*
- GSLV मार्क 3 की लॉन्चिंग को स्पेस टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देखा जा रहा है।

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