10-14
सितंबर, 1960 के मध्य बगदाद (इराक) में आयोजित एक सम्मेलन में पांच देशों
यथा- ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब तथा वेनेजुएला के बीच हुए एक समझौते के
परिणामस्वरूप स्थापित ‘ओपेक’ (Organisation of the Petroleum Exporting
Countries : OPEC) एक स्थायी अंतर्सरकारी संगठन है। वर्तमान में इस संगठन
का मुख्यालय विएना (ऑस्ट्रिया) में स्थापित है, हालांकि स्थापना के प्रथम
पांच वर्षों तक यह जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में विद्यमान था।
पेट्रोलियम
निर्यातक देशों के इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम
नीतियों को समन्वित करना तथा उन्हें एकरूप बनाना और उपभोक्ताओं को
पेट्रोलियम पदार्थों की कुशल एवं नियमित आपूर्ति उत्पादकों को एक स्थिर आय
एवं पेट्रोलियम उद्योग में निवेश करने वालों को उनकी पूंजी पर उचित प्रतिफल
(Fair Return) की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए तेल बाजारों के
स्थिरीकरण पर जोर देना है।
25 मई, 2017 को विएना में ओपेक देशों की 172वीं बैठक का आयोजन किया गया।
इस बैठक में इक्वेटोरियल गिनी को तत्काल प्रभाव से ओपेक के 14वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल करने की अनुमति प्रदान कर दी गई।
इक्वेटोरियल
गिनी उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है,
हालांकि इस दृष्टि से विश्व में इसका स्थान 37वां है।
वर्तमान
में इक्वेटोरियल गिनी में 220,000 बैरल/दिन की दर से तेल उत्पादन हो रहा
है जिसमें बाजार के स्थिरीकरण की दिशा में ओपेक के प्रयासों के तहत 12000
बैरल/दिन की दर से कटौती की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
उल्लेखनीय है कि पांच संस्थापक देशों के अतिरिक्त कतर (1961), इंडोनेशिया (1962), लीबिया (1962), संयुक्त अरब अमीरात (1967), अल्जीरिया (1969), नाइजीरिया (1971), इक्वाडोर (1973), गैबन (1975) तथा अंगोला (2007) ने ओपेक की सदस्यता ग्रहण की थी।
इक्वाडोर को ओपेक की सदस्यता से दिसंबर, 1992 में निलंबित कर दिया गया था, हालांकि इसने अक्टूबर, 2007 में पुनः संगठन की सदस्यता ग्रहण कर ली।
जनवरी, 2009 में निलंबित किए जाने के बाद इंडोनेशिया जनवरी, 2016 में पुनः ओपेक का सदस्य बना हालांकि नवंबर, 2016 में इसने एक बार फिर संगठन की सदस्यता को छोड़ने का निर्णय लिया।
जनवरी, 1995 में सदस्यता समाप्त किए जाने के बाद गैबन ने जुलाई, 2016 में पुनः ओपेक की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इस प्रकार वर्तमान में ओपेक के सदस्य देशों की कुल संख्या 14 है।
कोई भी देश, जिसका कच्चे तेल का शुद्ध निर्यात संतोषजनक स्थिति में हो, साथ ही मूल रूप से जिसके हित सदस्य देशों के समान हो, वह ओपेक का पूर्ण सदस्य बन सकता है, बशर्ते उसे सभी संस्थापक सदस्यों की सहमति सहित तीन-चौथाई पूर्णकालिक सदस्यों का बहुमत प्राप्त हुआ हो।
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