1. मोदी की यात्रा में लिखी गई भारत-इस्रइल दोस्ती की नई इबारत : बने साझीदार, सात समझौते
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक इस्रइल दौरे से दोनों देशों के बीच
रिश्तों की नई इबारत लिखी गई। प्रधानमंत्री की यात्रा के दूसरे दिन दोनों
देशों के बीच कई अहम समझौते हुए।
• दोनों देशों के बीच कृषि, साइंस एवं टेक्नॉलजी, स्पेस और वॉटर मैनेजमेंट जैसे अहम क्षेत्रों में कुल 7 समझौते हुए। नेतन्याहू और मोदी ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दोनों देशों की प्रगाढ़ता और दोस्ती का एक बार फिर जिक्र किया।
• मोदी ने अपने संबोधन में नेतन्याहू और उनके परिवार को भारत आने का न्योता दिया, जिसे इस्रइली प्रधानमंत्री ने तत्काल मंजूर भी कर लिया।
• इस्रइल ने उत्तर प्रदेश में गंगा की सफाई और वॉटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में सहयोग देने को लेकर समझौता किया है। दोनों नेताओं ने आतंक के खिलाफ लड़ाई को एक साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है।
• पीएम मोदी की इस यात्रा में भारत और इस्रइल के बीच न केवल द्विपक्षीय संबंधों को लेकर समझौते हुए, बल्कि नियंतण्र समस्याओं और जरूरतों पर भी बात की गई। इस्रइल ने भारत के साथ मिलकर र्थड र्वल्ड के देशों खासकर अफ्रीकी लोगों के लिए काम करने की इच्छा जताई।
• नेतन्याहू बोले, इतिहास बन रहा : समझौतों की घोषणा के बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित भी किया।
• नेतन्याहू ने पहले बोलते हुए कहा कि ‘‘हम इतिहास बना रहे हैं। यह मेरे लिए व्यक्तिगत और नेशनल-इंटरनेशनल, दोनों ही तौर पर अहम है। नेतन्याहू ने हिब्रू और हिंदी के एक गायक के गीत का जिक्र करते हुए कहा कि आप और हम मिलकर दुनिया बदल सकते हैं।
• नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि भारत और इस्रइल के बीच केवल द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई बल्कि नियंतण्र मुद्दों पर भी र्चचा हुई।
• उन्होंने कहा कि ‘‘हम दो देशों से इतर तीसरी दुनिया के देशों के लिए भी जागरूक हैं। अफ्रीका के लोगों के लिए भी हमने बातचीत की।’ नेतन्याहू ने कहा, ‘‘यह पार्टनरशिप अच्छे के लिए है, अच्छे को हासिल करने के लिए है और यह एक अच्छा दिन है। शुक्रिया मेरे दोस्त मोदी।’
• 40 मिलियन डॉलर के भारत-इस्रइल इंडस्ट्रियल (आरऐंडडी) ऐंड टेक्नॉलॉजिकल इनवेशन फंड के लिए एमओयू।
• भारत में जल संरक्षण के लिए एमओयू।द भारत के राज्यों में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमओयू।
• भारत-इस्रइल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन- कृषि के लिए 3 साल के कार्यक्रम (2018-2020) की घोषणा।
• इसरो और इस्रइल के बीच परमाणु घड़ी के लिए सहयोग की योजना।
• जीईओ-एलईओ ऑप्टिकल लिंक के लिए एमओयू।द छोटे सैटलाइट्स को बिजली के लिए एमओयू।
• दोनों देशों के बीच कृषि, साइंस एवं टेक्नॉलजी, स्पेस और वॉटर मैनेजमेंट जैसे अहम क्षेत्रों में कुल 7 समझौते हुए। नेतन्याहू और मोदी ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दोनों देशों की प्रगाढ़ता और दोस्ती का एक बार फिर जिक्र किया।
• मोदी ने अपने संबोधन में नेतन्याहू और उनके परिवार को भारत आने का न्योता दिया, जिसे इस्रइली प्रधानमंत्री ने तत्काल मंजूर भी कर लिया।
• इस्रइल ने उत्तर प्रदेश में गंगा की सफाई और वॉटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में सहयोग देने को लेकर समझौता किया है। दोनों नेताओं ने आतंक के खिलाफ लड़ाई को एक साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है।
• पीएम मोदी की इस यात्रा में भारत और इस्रइल के बीच न केवल द्विपक्षीय संबंधों को लेकर समझौते हुए, बल्कि नियंतण्र समस्याओं और जरूरतों पर भी बात की गई। इस्रइल ने भारत के साथ मिलकर र्थड र्वल्ड के देशों खासकर अफ्रीकी लोगों के लिए काम करने की इच्छा जताई।
• नेतन्याहू बोले, इतिहास बन रहा : समझौतों की घोषणा के बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित भी किया।
• नेतन्याहू ने पहले बोलते हुए कहा कि ‘‘हम इतिहास बना रहे हैं। यह मेरे लिए व्यक्तिगत और नेशनल-इंटरनेशनल, दोनों ही तौर पर अहम है। नेतन्याहू ने हिब्रू और हिंदी के एक गायक के गीत का जिक्र करते हुए कहा कि आप और हम मिलकर दुनिया बदल सकते हैं।
• नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि भारत और इस्रइल के बीच केवल द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई बल्कि नियंतण्र मुद्दों पर भी र्चचा हुई।
• उन्होंने कहा कि ‘‘हम दो देशों से इतर तीसरी दुनिया के देशों के लिए भी जागरूक हैं। अफ्रीका के लोगों के लिए भी हमने बातचीत की।’ नेतन्याहू ने कहा, ‘‘यह पार्टनरशिप अच्छे के लिए है, अच्छे को हासिल करने के लिए है और यह एक अच्छा दिन है। शुक्रिया मेरे दोस्त मोदी।’
• 40 मिलियन डॉलर के भारत-इस्रइल इंडस्ट्रियल (आरऐंडडी) ऐंड टेक्नॉलॉजिकल इनवेशन फंड के लिए एमओयू।
• भारत में जल संरक्षण के लिए एमओयू।द भारत के राज्यों में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमओयू।
• भारत-इस्रइल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन- कृषि के लिए 3 साल के कार्यक्रम (2018-2020) की घोषणा।
• इसरो और इस्रइल के बीच परमाणु घड़ी के लिए सहयोग की योजना।
• जीईओ-एलईओ ऑप्टिकल लिंक के लिए एमओयू।द छोटे सैटलाइट्स को बिजली के लिए एमओयू।
2. परमाणु हथियारों पर वार्ता के लिए तैयार नहीं उत्तर कोरिया
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अमेरिका के लिए सिरदर्द बने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने साफ
कर दिया है कि उनका देश अपने हथियारों की कीमत पर कोई समझौता नहीं करेगा।
वह परमाणु हथियार खत्म करने के मुद्दे पर किसी से कोई बात नहीं करेगा। किम
जोंग ने कहा, हमने अमेरिका को अपनी ताकत दिखा दी है।
• तानाशाह ने यह बात अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) के सफल परीक्षण के बाद कही है। मंगलवार को हुए इस परीक्षण के बाद अमेरिका के कई ठिकाने उत्तर कोरिया के निशाने पर आ गए हैं। उत्पन्न स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक होगी।
• परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया इन दिनों न केवल अमेरिका बल्कि उसके मित्र राष्ट्र दक्षिण कोरिया और जापान के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है। अमेरिका के हवाई द्वीप और अलास्का का इलाका, एक हजार किलोमीटर दूर स्थित जापान और दक्षिण कोरिया अब उत्तर कोरिया की मिसाइलों की पहुंच में हैं।
• सूत्रों के अनुसार अपनी मिसाइलों के निशाने पर पूरे अमेरिका को लेने के लिए उत्तर कोरिया अभी बैलेस्टिक मिसाइलों के कुछ और परीक्षण करेगा।
• इसका सुबूत मंगलवार को बैलेस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद किम जोंग की दंभ से भरी हंसी और वैज्ञानिकों को परीक्षणों के सिलसिला जारी रखने का निर्देश था।
• परीक्षण के बाद के फुटेज उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया केसीएनए ने जारी किये हैं। आंकड़ों के अध्ययन के बाद मीडिया ने बताया है कि उत्तर कोरिया की बैलेस्टिक मिसाइल आठ हजार किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। यह हाइड्रोजन बम, परमाणु बम और अन्य परंपरागत हथियार ले जा सकती है।
• तानाशाह ने यह बात अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) के सफल परीक्षण के बाद कही है। मंगलवार को हुए इस परीक्षण के बाद अमेरिका के कई ठिकाने उत्तर कोरिया के निशाने पर आ गए हैं। उत्पन्न स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक होगी।
• परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया इन दिनों न केवल अमेरिका बल्कि उसके मित्र राष्ट्र दक्षिण कोरिया और जापान के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है। अमेरिका के हवाई द्वीप और अलास्का का इलाका, एक हजार किलोमीटर दूर स्थित जापान और दक्षिण कोरिया अब उत्तर कोरिया की मिसाइलों की पहुंच में हैं।
• सूत्रों के अनुसार अपनी मिसाइलों के निशाने पर पूरे अमेरिका को लेने के लिए उत्तर कोरिया अभी बैलेस्टिक मिसाइलों के कुछ और परीक्षण करेगा।
• इसका सुबूत मंगलवार को बैलेस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद किम जोंग की दंभ से भरी हंसी और वैज्ञानिकों को परीक्षणों के सिलसिला जारी रखने का निर्देश था।
• परीक्षण के बाद के फुटेज उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया केसीएनए ने जारी किये हैं। आंकड़ों के अध्ययन के बाद मीडिया ने बताया है कि उत्तर कोरिया की बैलेस्टिक मिसाइल आठ हजार किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। यह हाइड्रोजन बम, परमाणु बम और अन्य परंपरागत हथियार ले जा सकती है।
3. जलवायु परिवर्तन और कोरियाई संकट के बीच जर्मनी में जुटने लगे दुनिया के दिग्गज
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उत्तर कोरिया संकट और जलवायु परिवर्तन पर खींचतान के बीच अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के नेता
जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में जुटने लगे हैं। शुक्रवार से शुरू हो रहे जी-20
शिखर सम्मेलन में दोनों मुद्दों के छाए रहने की संभावना है।
• ट्रंप ने पिछले महीने ऐतिहासिक पेरिस करार से हटने की घोषणा की थी। इसके बाद जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास के कमजोर होने की आशंका गहरा गई है। इसके अलावा मंगलवार को उत्तर कोरिया ने पहले इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर अमेरिका समेत पूरी दुनिया की सिरदर्दी और बढ़ा दी है। सम्मेलन में दोनों मुद्दों के केंद्र में रहने की संभावना है।
• अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, ‘आइसीबीएम का परीक्षण अमेरिका, सहयोगी देशों, क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए नया खतरा है।’
• जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सबकी नजरें राष्ट्रपति ट्रंप पर होंगी जो उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को हर हाल में रोकना चाहते हैं। इसके लिए वह चीन पर लगातार दबाव भी बना रहे हैं। इसके अलावा ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संभावित मुलाकात पर भी दुनिया की निगाहें टिकी हैं।
• अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के आरोपों की जांच चल रही है। ट्रंप के कई विश्वस्त सहयोगियों को इसके चलते अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा है। व्यापार के क्षेत्र में ट्रंप की संरक्षणवाद की नीति का मुद्दा भी उठने की संभावना है।
• चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी के बीच मुलाकात पर भी नजर रहेगी। इसके अलावा सीरिया और यूक्रेन से जुड़े मसले भी उठ सकते हैं।
• जलवायु परिवर्तन भी अहम मुद्दा : जी-20 बैठक में जलवायु परिवर्तन अहम मुद्दा बनकर उभरेगा। ट्रंप के पेरिस करार से हटने की घोषणा के बावजूद भारत, चीन, जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देश समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
• ऑक्सफोर्ड एनालिटिक्स के अर्थशास्त्री एडम स्लेटर ने इस मुद्दे पर अमेरिका और अन्य सदस्य देशों में ध्रुवीकरण की आशंका जताई है। हालांकि, कई देशों को इस मसले पर समाधान निकलने की उम्मीद जताई है।
• ट्रंप ने पिछले महीने ऐतिहासिक पेरिस करार से हटने की घोषणा की थी। इसके बाद जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास के कमजोर होने की आशंका गहरा गई है। इसके अलावा मंगलवार को उत्तर कोरिया ने पहले इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर अमेरिका समेत पूरी दुनिया की सिरदर्दी और बढ़ा दी है। सम्मेलन में दोनों मुद्दों के केंद्र में रहने की संभावना है।
• अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, ‘आइसीबीएम का परीक्षण अमेरिका, सहयोगी देशों, क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए नया खतरा है।’
• जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सबकी नजरें राष्ट्रपति ट्रंप पर होंगी जो उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को हर हाल में रोकना चाहते हैं। इसके लिए वह चीन पर लगातार दबाव भी बना रहे हैं। इसके अलावा ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संभावित मुलाकात पर भी दुनिया की निगाहें टिकी हैं।
• अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के आरोपों की जांच चल रही है। ट्रंप के कई विश्वस्त सहयोगियों को इसके चलते अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा है। व्यापार के क्षेत्र में ट्रंप की संरक्षणवाद की नीति का मुद्दा भी उठने की संभावना है।
• चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी के बीच मुलाकात पर भी नजर रहेगी। इसके अलावा सीरिया और यूक्रेन से जुड़े मसले भी उठ सकते हैं।
• जलवायु परिवर्तन भी अहम मुद्दा : जी-20 बैठक में जलवायु परिवर्तन अहम मुद्दा बनकर उभरेगा। ट्रंप के पेरिस करार से हटने की घोषणा के बावजूद भारत, चीन, जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देश समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
• ऑक्सफोर्ड एनालिटिक्स के अर्थशास्त्री एडम स्लेटर ने इस मुद्दे पर अमेरिका और अन्य सदस्य देशों में ध्रुवीकरण की आशंका जताई है। हालांकि, कई देशों को इस मसले पर समाधान निकलने की उम्मीद जताई है।
4. शीर्ष अदालत ने केंद्र से किया सवाल :चुनाव आयोग में नियुक्तियों के लिए कानून क्यों नहीं
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उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से सवाल किया कि भारत निर्वाचन आयोग
में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए
संविधान में किए गए प्रावधानों के अनुरूप कोई कानून क्यों नहीं है। बहरहाल,
न्यायालय ने यह भी कहा कि अभी तक निर्वाचन आयोग में अच्छे लोगों की
नियुक्ति हुई है।
• प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 में प्रावधान किया गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति तय कानून के तहत होगी, लेकिन अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है।
• पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा, आशा है कि संसद कानून बनाएगी। कानून नहीं बनाया गया है, ऐसे में क्या अदालत प्रक्रिया तय कर सकती है। पीठ वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अनूप परनवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवायी कर रही थी।
• याचिका में कहा गया है कि मुख्य निवार्चन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए।
• याचिका में उच्च और उच्चतम न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी ऐसी ही प्रक्रिया होनी चाहिए।
• प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 में प्रावधान किया गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति तय कानून के तहत होगी, लेकिन अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है।
• पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा, आशा है कि संसद कानून बनाएगी। कानून नहीं बनाया गया है, ऐसे में क्या अदालत प्रक्रिया तय कर सकती है। पीठ वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अनूप परनवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवायी कर रही थी।
• याचिका में कहा गया है कि मुख्य निवार्चन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए।
• याचिका में उच्च और उच्चतम न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी ऐसी ही प्रक्रिया होनी चाहिए।
5. भारतीय बासमती राइस पर यूरोपीय संघ सख्त
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चावल निर्यातकों के संगठन एआईआरईए ने बुधवार को कहा कि यूरोपीय यूनियन
(ईयू) के कठोर नियमों से भारत का बासमती निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता
है और जहां करीब 1,700 करोड़ रपए का कारोबार पाकिस्तान के पास जा सकता है।
• एआईआरईए ने यह बात ऐसे समय कही है जबकि बासमती के मानकों का समला सुलझाने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के यूरोपीय संघ (ईयू) जाने वाला है।यूरोपीय आयोग ने हाल में जो नियम जारी किए है उसके तहत अगले साल से बासमती चावल में फंफूदीनाशक, रसायन ट्रायसिक्लाजोल की अधिकतम स्वीकृत सीमा अवशिष्ट सीमा (एमआरएल) घटाकर 0.01 मिग्राप्रति किलो कर दी गई है।
• ऐसा सभी देशों के लिए किया गया है। एआईआरईए के अध्यक्ष विजय सेतिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यूरोपीय संघ ने ट्रायसिक्लाजोल के मुद्दे पर भारतीय बासमती पर पाबंदी लगा दी है।बासमती चावल में इस फंफूदीनाशक रसायन के अवशिष्ट के अनुपात को शून्य के स्तर पर लाना संभव नहीं है। इससे चावल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
• भारत सरकार के दल का इस मुद्दे पर बात करने के लिए 12 जुलाई को ब्रुसेल्स, बेल्जियम का दौरा करने का कार्यक्रम निर्धारित है। बासमती की दो सुगंधित किस्में पीबी वन और 1401 का अधिकतम निर्यात यूरोपीय संघ को किया जाता है।
• एआईआरईए ने यह बात ऐसे समय कही है जबकि बासमती के मानकों का समला सुलझाने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के यूरोपीय संघ (ईयू) जाने वाला है।यूरोपीय आयोग ने हाल में जो नियम जारी किए है उसके तहत अगले साल से बासमती चावल में फंफूदीनाशक, रसायन ट्रायसिक्लाजोल की अधिकतम स्वीकृत सीमा अवशिष्ट सीमा (एमआरएल) घटाकर 0.01 मिग्राप्रति किलो कर दी गई है।
• ऐसा सभी देशों के लिए किया गया है। एआईआरईए के अध्यक्ष विजय सेतिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यूरोपीय संघ ने ट्रायसिक्लाजोल के मुद्दे पर भारतीय बासमती पर पाबंदी लगा दी है।बासमती चावल में इस फंफूदीनाशक रसायन के अवशिष्ट के अनुपात को शून्य के स्तर पर लाना संभव नहीं है। इससे चावल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
• भारत सरकार के दल का इस मुद्दे पर बात करने के लिए 12 जुलाई को ब्रुसेल्स, बेल्जियम का दौरा करने का कार्यक्रम निर्धारित है। बासमती की दो सुगंधित किस्में पीबी वन और 1401 का अधिकतम निर्यात यूरोपीय संघ को किया जाता है।
6. उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद नहीं निकल रहे नौकरियों के अवसर
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उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन नहीं हो रहा
है इस तरह की आलोचनाओं को सरकार द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद श्रम
विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में गिरावट आई है।
• वित्तीय ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।ब्रोकरेज फर्म द्वारा जुटाए गए श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक डिग्री धारक युवाओं की संख्या के मुकाबले रोजगार के नए अवसर पैदा होने का अनुपात पिछले सालों के मुकाबले बिगड़ा है।
• रोजगार के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के शुरुआती नौ माह के दौरान (बैंकों की नौकरी को छोड़कर) एक लाख 90 हजार रोजगार ही पैदा हुए जबकि पिछले वित्त वर्ष में 88 लाख युवाओं ने स्नातक की डिग्री हासिल की। इस तरह डिग्री धारकों और पैदा हुए रोजगार के आंकड़े में भारी अंतर सामने आया।
• जेएम फाइनेंशियल की ‘‘मैं अपनी डिग्री का क्या करूं’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है, जब स्नातकों की संख्या पैदा होने वाले रोजगार की संख्या से कहीं ज्यादा हो तो स्पष्ट रूप से श्रमिकों की मांग और उनकी आपूत्तर्ि के बीच का अंतर कहीं ज्यादा हो जाता है।
• उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के एक कार्यक्रम में देश की आर्थिक वृद्धि को रोजगार विहीन बताए जाने के कुछ अर्थशास्त्रियों और विपक्ष की आलोचना को मात्र कल्पना बताया और दावा किया कि 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से श्रम बाजार को काफी फायदा हुआ है।
• उन्होंने कहा था कि यदि 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो यह ऐसी नहीं हो सकती है कि श्रम बाजार को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है। इस तरह की आर्थिक वृद्धि रोजगार पैदा किए बिना नहीं हो सकती है.. रोजगार सृजन हो रहा है। हालांकि उन्होंने इसके साथ कोई आंकड़े नहीं बताए केवल इतना कहा कि बेरोजगारी की दर तीन प्रतिशत के आसपास है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही रोजगार सर्वेक्षण और रिजर्व बैंक के बैंकिंग रोजगार के आंकड़ों के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद में 65 प्रतिशत से अधिक का योगदान करने वाले नौ श्रम गहन क्षेत्रों में वित्त वर्ष 2010-11 से लेकर 2012-13 की अवधि में कुल मिलाकर 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए जबकि इस अवधि के दौरान 2.27 करोड़ लोगों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में डिग्री हासिल की।
• इस लिहाज से डिग्री हासिल करने वालों की संख्या और पैदा हुए रोजगार के अवसरों के हिसाब से प्रत्येक एक रोजगार के लिए नौ डिग्रीधारक छात्र का अनुपात रहा। रिपोर्ट के अनुसार वहीं इसके बाद के वर्ष में वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2014-15 की अवधि में यह आंकड़ा दस लाख रोजगार और 2.59 डिग्रीधारक का रहा है।इस लिहाज से एक रोजगार के समक्ष 27 डिग्रीधारक का अनुपात रहा है।
• यह अनुपात पिछले आंकड़ों के मुकाबले तीन गुणा बढ़ गया। रोजगार सृजन के ताजा तिमाही आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 की पहले नौ माह के दौरान बैंक रोजगार को छोड़कर केवल 1.90 लाख रोजगार ही पैदा हुए जबकि इससे पिछले वर्ष में 88 लाख युवा उच्च शिक्षा पास करके निकले।
• श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार रोजगार सृजन में भारी गिरावटद सरकार ने किया था रोजगार सृजन न होने के आरोपों को खारिज
• 2016-17 के शुरुआती नौ माह में निकलीं सिर्फ 1.90 लाख नौकरियां
• बीते वित्त वर्ष में 88 लाख युवाओं को मिली थी स्नातक की डिग्री
• डिग्री धारकों और रोजगार के अवसरों में तेजी से बढ़ रहा है अंतर
• वित्तीय ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।ब्रोकरेज फर्म द्वारा जुटाए गए श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक डिग्री धारक युवाओं की संख्या के मुकाबले रोजगार के नए अवसर पैदा होने का अनुपात पिछले सालों के मुकाबले बिगड़ा है।
• रोजगार के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के शुरुआती नौ माह के दौरान (बैंकों की नौकरी को छोड़कर) एक लाख 90 हजार रोजगार ही पैदा हुए जबकि पिछले वित्त वर्ष में 88 लाख युवाओं ने स्नातक की डिग्री हासिल की। इस तरह डिग्री धारकों और पैदा हुए रोजगार के आंकड़े में भारी अंतर सामने आया।
• जेएम फाइनेंशियल की ‘‘मैं अपनी डिग्री का क्या करूं’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है, जब स्नातकों की संख्या पैदा होने वाले रोजगार की संख्या से कहीं ज्यादा हो तो स्पष्ट रूप से श्रमिकों की मांग और उनकी आपूत्तर्ि के बीच का अंतर कहीं ज्यादा हो जाता है।
• उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के एक कार्यक्रम में देश की आर्थिक वृद्धि को रोजगार विहीन बताए जाने के कुछ अर्थशास्त्रियों और विपक्ष की आलोचना को मात्र कल्पना बताया और दावा किया कि 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से श्रम बाजार को काफी फायदा हुआ है।
• उन्होंने कहा था कि यदि 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो यह ऐसी नहीं हो सकती है कि श्रम बाजार को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है। इस तरह की आर्थिक वृद्धि रोजगार पैदा किए बिना नहीं हो सकती है.. रोजगार सृजन हो रहा है। हालांकि उन्होंने इसके साथ कोई आंकड़े नहीं बताए केवल इतना कहा कि बेरोजगारी की दर तीन प्रतिशत के आसपास है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही रोजगार सर्वेक्षण और रिजर्व बैंक के बैंकिंग रोजगार के आंकड़ों के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद में 65 प्रतिशत से अधिक का योगदान करने वाले नौ श्रम गहन क्षेत्रों में वित्त वर्ष 2010-11 से लेकर 2012-13 की अवधि में कुल मिलाकर 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए जबकि इस अवधि के दौरान 2.27 करोड़ लोगों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में डिग्री हासिल की।
• इस लिहाज से डिग्री हासिल करने वालों की संख्या और पैदा हुए रोजगार के अवसरों के हिसाब से प्रत्येक एक रोजगार के लिए नौ डिग्रीधारक छात्र का अनुपात रहा। रिपोर्ट के अनुसार वहीं इसके बाद के वर्ष में वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2014-15 की अवधि में यह आंकड़ा दस लाख रोजगार और 2.59 डिग्रीधारक का रहा है।इस लिहाज से एक रोजगार के समक्ष 27 डिग्रीधारक का अनुपात रहा है।
• यह अनुपात पिछले आंकड़ों के मुकाबले तीन गुणा बढ़ गया। रोजगार सृजन के ताजा तिमाही आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 की पहले नौ माह के दौरान बैंक रोजगार को छोड़कर केवल 1.90 लाख रोजगार ही पैदा हुए जबकि इससे पिछले वर्ष में 88 लाख युवा उच्च शिक्षा पास करके निकले।
• श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार रोजगार सृजन में भारी गिरावटद सरकार ने किया था रोजगार सृजन न होने के आरोपों को खारिज
• 2016-17 के शुरुआती नौ माह में निकलीं सिर्फ 1.90 लाख नौकरियां
• बीते वित्त वर्ष में 88 लाख युवाओं को मिली थी स्नातक की डिग्री
• डिग्री धारकों और रोजगार के अवसरों में तेजी से बढ़ रहा है अंतर
7. पांच और बैंकों में सीधे जमा होगा पीएफ
•
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पांच बैंकों के साथ समझौता किया
है। इसके तहत बैंकों के जरिये ईपीएफओ को पीएफ की बकाया राशि आसानी से जमा
कराई जा सकेगी। इसके अलावा सदस्यों को इनके जरिये सदस्यों को पीएफ, पेंशन
और इंश्योरेंस राशि का भुगतान भी प्राप्त होगा।
• ईपीएफओ ने बैंक ऑफ बड़ौदा, आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक म¨हद्रा बैंक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे उसे 125 करोड़ रुपये हर साल बचत होगी और पीएफ की राशि जल्दी मिलने से निवेश में तेजी आएगी।
• इससे सदस्यों को भी मिलेगा। सेवायोजक इन बैंकों में अपने बैंक खाते से आसानी से पीएफ की राशि नेट बैंकिंग के जरिये ईपीएफओ के खाते में जमा कर सकेंगे।
• अभी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को सेवायोजकों से पीएफ भुगतान लेना होता है और उसे अपने बैंक खाते में जमा करना होता है। इस पर उसे 12 प्रति ट्रांजैक्शन का खर्च भी उठाना पड़ता है।
• केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी. पी. जॉय ने संवाददाताओं को बताया कि सदस्यों को भुगतान करने में ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में संगठन को हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का व्यय उठाना पड़ता है।
• भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व्यवस्था चालू होने के बाद यह खर्च घटकर 175 करोड़ रुपये रह गया।
• इन बैंकों के साथ समझौते के बाद खर्च घटकर मात्र 50 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। संगठन सात और बैंकों के साथ इसी तरह का समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है।
• इन बैंकों में आइडीबीआइ बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
• इस मौके पर श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ट्रांजैक्शन चार्ज कम होने के बाद संगठन प्रशासनिक शुल्क घटाने पर विचार कर सकता है। अभी तक प्रशासनिक खर्च घटाकर 0.65 किया जा चुका है। इससे पहले यह खर्च 1.10 फीसद तक था। यह चार्ज पीएफ अंशदान के साथ सेवायोजक से लिया जाता हैl
• ईपीएफओ ने बैंक ऑफ बड़ौदा, आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक म¨हद्रा बैंक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे उसे 125 करोड़ रुपये हर साल बचत होगी और पीएफ की राशि जल्दी मिलने से निवेश में तेजी आएगी।
• इससे सदस्यों को भी मिलेगा। सेवायोजक इन बैंकों में अपने बैंक खाते से आसानी से पीएफ की राशि नेट बैंकिंग के जरिये ईपीएफओ के खाते में जमा कर सकेंगे।
• अभी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को सेवायोजकों से पीएफ भुगतान लेना होता है और उसे अपने बैंक खाते में जमा करना होता है। इस पर उसे 12 प्रति ट्रांजैक्शन का खर्च भी उठाना पड़ता है।
• केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी. पी. जॉय ने संवाददाताओं को बताया कि सदस्यों को भुगतान करने में ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में संगठन को हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का व्यय उठाना पड़ता है।
• भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व्यवस्था चालू होने के बाद यह खर्च घटकर 175 करोड़ रुपये रह गया।
• इन बैंकों के साथ समझौते के बाद खर्च घटकर मात्र 50 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। संगठन सात और बैंकों के साथ इसी तरह का समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है।
• इन बैंकों में आइडीबीआइ बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
• इस मौके पर श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ट्रांजैक्शन चार्ज कम होने के बाद संगठन प्रशासनिक शुल्क घटाने पर विचार कर सकता है। अभी तक प्रशासनिक खर्च घटाकर 0.65 किया जा चुका है। इससे पहले यह खर्च 1.10 फीसद तक था। यह चार्ज पीएफ अंशदान के साथ सेवायोजक से लिया जाता हैl
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