भारत ने बाल श्रम पर आइएलओ के दो समझौतों की पुष्टि की:
भारत
 ने बाल श्रम पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के दो समझौतों की पुष्टि
 कर दी है। ये समझौते बाल श्रम के सबसे खराब तरीके को खत्म करने प्रति 
विश्व की प्रतिबद्धता और बच्चों को न्यूनतम बुनियादी शिक्षा दिलाने के लिए 
किए गए हैं।
केंद्रीय
 श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने समझौतों की पुष्टि के दस्तावेज 13 जून 
2017 को आइएलओ को सौंपे। आइएलओ ने भारत द्वारा बाल श्रम के खिलाफ उठाए गए 
महत्वपूर्ण कदमों का स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने दोनों समझौतों की पुष्टि की थी।
समझौता
 संख्या 138 रोजगार के लिए न्यूनतम आयु से संबंधित है और समझौता संख्या 182
 बाल श्रम के खराब तरीकों को खत्म करने की तत्काल कार्रवाई से संबंधित हैं।
 नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने समझौते की पुष्टि करने पर भारत की सराहना
 की।
आईएलओ
 का बहुराष्ट्रीय उद्यमों और सामाजिक नीति से संबंधित सिद्धांतों का 
त्रिपक्षीय घोषणापत्र, 1977, बाल श्रम के उन्मूलन में उद्यमों की भूमिका को
 स्वीकार करता है। उद्यमों की क्षमता और सामाजिक संवाद के विकास और मजबूती 
पर केंद्रित इस घोषणापत्र में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई को दिशानिर्देश 
देने की जबरदस्त क्षमता है।
2030
 की सतत विकास कार्यसूची में बाल श्रम को समाप्त करने के लक्ष्य को दोहराया
 गया है। एक साथ मिलकर, हम श्रम की दुनिया को बाल श्रम मुक्त भविष्य दे 
सकते हैं। बेशक, यह हमारे हाथ में है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन:
इसकी स्थापना राष्ट्र संघ से संबद्ध एक स्वायत्त अंतरसरकारी अभिकरण के रूप में 11 अप्रैल, 1919 को हुई थी। यह 1946 में संयुक्त राष्ट्र का प्रथम विशिष्ट अभिकरण बना। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।
आईएलओ
 द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान देने के लिए ट्यूरिन में 
एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय 
श्रम संगठन के सदस्यों की संख्या 1999 में 174 थी। इसे 1969 में शांति का 
नोबेल पुरस्कार भी दिया जा चुका है।
 
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